दोस्तों आप तो जानते ही हैं हमारे देश को त्योहारों का देश भी कहा जाता है हमारे यहाँ अक्सर हर महीने कोई न कोई त्यौहार जरूर होता है प्रत्येक त्यौहार बड़ी धूम धाम की साथ मनाया जाता है ,हर एक त्योहार का अपना एक अलग महत्त्व है इसी तरह 14 जनवरी को मनाया जाने वाला मकरसंक्रांति का त्यौहार भी अपना अलग महत्व रखता है और आज 14 जनवरी पर पुरे देश में मकरसंक्रांति का त्यौहार हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
सनातन धर्म में मकर संक्रांति का बहुत ही महत्व है , पौष मास मे जब सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं ,तभी इस पर्व को मनाया जाता है,इस बार यह शुभ तिथि 14 जनवरी दिन गुरुवार को है , इस दिन जप, तप, दान और स्नान का विशेष दिन गुरुवार को है , सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब पांच ग्रहों का संयोग बनेगा,जिसमें सूर्य, बुध, गुरु, चंद्रमा और शनि भी शामिल रहेंगे, इस मकर संक्राति पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी शुभ बना रहे हैं।
जानिए आज के दिन स्नान करने का क्या है विशेष महत्व ?
सबसे पहली कथा श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण में बताई गई है, इनके अनुसार, शनि महाराज को अपने पिता सूर्यदेव से वैर भाव था क्योंकि सूर्यदेव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेदभाव करते हुए देख लिया था,इस बात से सूर्यदेव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था इससे शनिदेव और उनकी माता छाया ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था ,सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए और उन्होंने इस रोग से मुक्ति के लिए तपस्या भी की थी , सूर्यदेव ने क्रोध में आकर शनि महाराज के घर कुंभ, जिसे शनि की राशि कहा जाता है, उसको अपने तेज से जला दिया था, इससे शनि देव और उनकी माता छाया को कष्ट भोगने पड़े ,यमराज ने अपनी सौतेली माता और अपने भाई शनि को कष्टों में देखकर उनके कल्याण के लिएसूर्यदेव को काफी समझाया ,यमराज के समझाने पर सूर्य देव उनके घर कुंभ में पहुंचे थे।वहां सबकुछ जला हुआ था। उस समय शनिदेव के पास काले तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से ही उनकी पूजा की। शनि की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने शनि महाराज को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि में मेरे आने पर वह धन-धान्य से भर जाएगा ,इसी वजह से मकर संक्रांति के दिन तिल से सूर्य देव और शनि महाराज की पूजा का नियम शुरू हुआ।
आज स्नान करने का क्या है विशेष महत्व ?
मकर संक्रांति पर दूसरी कथा मिलती है कि मकर संक्रांति के दिन ,गंगाजी अपने भक्त भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में मिली थी। मान्यता है कि इस दिन गंगाजी धरती पर आईं थीं, इसलिए इस दिन गंगाजी में स्नान करने का विशेष महत्व है और इसी कारण मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में मेला का आयोजन किया जाता है।