महाराष्ट्र: विपक्ष के भारी विरोध और हंगामे के बाद भी नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास हो गया। लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। बिल के खिलाफ मत करने वालों में कांग्रेस और एनसीपी भी थी वहीं इस मुद्दे पर शिवसेना बीजेपी के साथ (Shiv Sena) खड़ी थी, जिसके कारण अब महाराष्ट्र में सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी डगमगाने लग गई है। शिवसेना के बीजेपी के समर्थन के कारण एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन तोड़ने के कयास भी लगाए जा रहे हैं। एनसीपी और कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार बनाने वाली शिवसेना मन ही मन अभी भी बीजेपी के साथ ही है। चाहे शिवसेना(Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र सामना में मोदी सरकार के खिलाफ कितनी भी आग उगली हो, चाहे शिवसेना (Shiv Sena) ने बीजेपी के साथ 30 साल से भी पुराना गठबंधन तोड़ लिया हो, लेकिन वह अभी भी ‘मन’ से बीजेपी के साथ खड़ी दिखाई दे रही है। हालांकि शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा था कि यह बिल हिंदुओं और मुसलमानों के ‘अदृश्य विभाजन’ का कारण बन सकता है, लेकिन पार्टी ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया।
नागरिकता संशोधन कानून पर शिवसेना (Shiv Sena) का रवैया बना फूट की वजह
लोकसभा में जब गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर रहे थे उस समय शिवसेना(Shiv Sena) के मुखपत्र सामना में यह शर्त रखी कि नए बिल के तहत जिनको नागरिकता दी जाएगी, उन्हें 25 सालों तक वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने अपने ट्वीट में कहा, अवैध नागरिकों को देश से बाहर करना चाहिए, साथ ही हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता भी दी जानी चाहिए, लेकिन उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। वहीं शिवसेना(Shiv Sena) सांसद अरविंद सावंत ने बिल के बारे में कहा कि हमने राष्ट्र के हित में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया। कांग्रेस और एनसीपी के साथ ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ केवल महाराष्ट्र में लागू है।