सरकार किसान संगठनों की तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर लंबी लड़ाई के लिए खुद को तैयार कर रही है। विकल्पों पर आगे बढ़ने से पहले सरकार की नजर सुप्रीम कोर्ट में इस हफ्ते होने वाली सुनवाई पर टिकी है। सुनवाई के बाद सरकार समर्थक किसान संगठनों से वार्ता करने और सहमति वाले प्रावधानों पर अध्यादेश या बजट सत्र के दौरान संशोधन लाने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
सरकार में एक वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक, सोमवार की बैठक में सरकार किसान की आपत्तियों वाले सभी प्रावधानों पर चर्चा और बदलाव की तैयारी के मूड में थी। बैठक से पहले 21 तरह के संशोधनों पर सहमति बनाने का पहले से ही विचार था। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की जगह इसके जारी रखने संबंधी ठोस संदेश देने के लिए भी सरकार किसान संगठनों के सुझाव मानने के लिए तैयार थी। हालांकि बैठक में किसान संगठन कानून वापसी की मांग पर अड़ गए
सरकार किसान संगठनों से लंबी लड़ाई लड़ने के लिए कई विकल्पों को आजमाने पर विचार कर रही है। इसमें पहला विकल्प समर्थक किसान संगठनों के साथ आंदोलनकारी किसान संगठनों की तर्ज पर वार्ता है। इस वार्ता के दौरान दोनों पक्षों में बनी सहमतियों को प्रचारित किया जाएगा। दूसरा विकल्प किसान संगठनों से जिन मुद्दों पर सहमति बनी है, उस पर सरकार अध्यादेश जारी करने का रास्ता अपनाएगी। तीसरा रास्ता सुप्रीम कोर्ट की उस सलाह पर विचार करने की भी है जिसमें शीर्ष अदालत ने बातचीत जारी रहते हुए कानूनों पर अस्थाई रोक लगाने की बात कही थी।
इस बीच सरकार तीनों कानूनों के समर्थन में अपना अभियान जारी रखेगी। हरियाणा और पंजाब के इतर दूसरे राज्यों में सरकार और पार्टी के संगठन के स्तर पर किसानों को साधने का प्रयास जारी रहेगा।