Business: देश का चौथा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक जो अपनी औसत से ज्यादा ब्याज देने के लिए जाना जाता था, आज वो दिवालिया हो गया है। हम बात कर रहे है येस बैंक(YES Bank) की जिसका नियंत्रण अब आरबीआई के हाथ में हैं और बीती रात से इस बैंक के ग्राहक परेशान हैं।दरअसल, येस बैंक(YES Bank) की ये हालत बीते कुछ महीनों से डाउन चल रही थी। इसको बचाने की कोशिश भी की गई लेकिन काम नहीं बना। कभी 300 करोड़ के आईपीओ के साथ शेयर मार्केट में धमाल मचाने वाला येस बैंक आज अपनी ही नीतियों के कारण धराशाई हो गया है। ये वहीँ बैंक है जिसने छोटे-छोटे लोन देकर मध्यम वर्गीय परिवार का विश्वास जीता और अपना एम्पायर खड़ा किया।येस बैंक ने छोटे-बड़े लोन देकर आसानी से अपना बाजार खड़ा किया। इसका मार्किट इस कदर ग्रो करने लगा कि इसने शेयर मार्किट में अपनी अच्छी पकड़ बना ली। लोगों ने भी इस पर विश्वास जताया और इंवेस्ट किया। धीरे-धीरे बैंक का नेटवर्क काफी बड़ा हो गया और देशभर में येस बैंक की 1000 से भी ज्यादा ब्रांच खोली गईं। इस बैंक का हेडक्वॉर्टर मुंबई में है और 1800 एटीएम मौजूद हैं।इस बैंक के महिला स्पेशल ब्रांच भी हैं, जो ‘यस ग्रेस ब्रांच’ के नाम से चलाए जाते हैं। इन ब्रांच की खासियत ये हैं कि इनका सारा स्टाफ महिलाओं का ही है। येस बैंक की देश में स्पेशलाइज्ड सर्विस देने वाली 30 से ज्यादा ‘यस एसएमई ब्रांच’ भी हैं।
2004 में शुरू हुआ था YES Bank
बताया जाता है कि इस बैंक(YES Bank) के परिवार के आपसी कलह ने इसको गर्त में पहुंचा दिया। इस बैंक की शुरुआत 2004 में राणा कपूर ने अपने रिश्तेदार अशोक राणा कपूर के साथ मिल कर की थी। अशोक कपूर की मौत 26/11 के मुंबई हमले में हो गई। इसके बाद बैंक के मालिकाना हक को लेकर अशोक कपूर की पत्नी मधु कपूर और राणा कपूर के बीच कलह शुरू हो गया। ये आपसी पारिवारिक कलह बैंक को ले डूबी। हर कोई अपने-अपनों का हक लेने के लिए पैंतरे चलता रहा और बैंक घाटे में जाता रहा और अब ये वक्त आ गया जब बैंक दिवालिया हो चुका है।पारिवारिक कलह और शेयर्स को बेचने के बाद येस बैंक का कपूर परिवार संकटों से घिर गया। इसके बाद येस बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर को पद से हटाते हुए रिज़र्व बैंक ने कहा कि वह बैलंस शीट की सही जानकारी नहीं दे रहे थे। इसके साथ ही आरबीआई ने येस बैंक पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए ये आरोप लगाया कि बैंक मेसेजिंग सॉफ्टवेयर स्विफ्ट के नियमों का पालन नहीं कर रहा।बता दें, इस मेसेजिंग सॉफ्टवेयर स्विफ्ट सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल बैंक लेनदेन के लिए करते हैं। ये येस बैंक(YES Bank) के दिवालिया होने का एक सबसे बड़ा कारण बना है! बैंक ने लेनदेन की नीतियों के अलग जा कर काम किया। बैंक ने उन कॉरपोरेट ग्राहकों को लोन दिया जो घाटे में थे। जब कंपनियां दिवालिया होने लगी तब बैंक का पैसा डूब गया और नतीजन येस बैंक कंगाल हो गया।
आरबीआई ने ली बैंक की ज़िम्मेदारी
आरबीआई ने येस बैंक(YES Bank) की जिम्मेदारी ली है। ग्राहकों की परेशानियों को देखते हुए आरबीआई ने फिलहाल अगले एक महीने के लिए 50 हजार रुपये निकालने की लिमिट तय की है। इसके साथ ही आरबीआई ने कहा है कि वो येस बैंक के बहीखातों की एसेट क्वालिटी का मूल्यांकन करेगा और इसके बाद तय करेगा कि आगे क्या किया जा सकता है। ऐसी उम्मीद है कि अगले 30 दिनों के अंतर्गत आरबीआई येस बैंक को लेकर बड़ा ऐलान कर सकती है।वित्त मंत्री सीतारमण ने भी बैंक के ग्राहकों को ये विश्वास दिलाया है कि उनका पैसा सेफ है और जल्द ही इस संकट से उबरने के प्रयास किये जायेंगे