नई दिल्ली:Vijay Diwas: भारतीय सेना के अदम्य साहस की वैसे तो कई कहानियां हैं लेकिन 1971 में पाकिस्तान को धूल चटाने की घटना यादगार है। 16 अक्टूबर 1971 के दिन पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिए थे। इसके बाद ही पूरे भारत में इस दिन को विजय दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की थी। पाक सेना ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा था, इसके बाद ही बांग्लादेश का उदय हुआ था। युद्ध का भारत ने कड़ा जवाब दिया था। पाकिस्तान के सैनिकों के भारतीय जवानों ने 12 दिनों तक छक्के छुड़ा दिए थे। इसके बाद 93 हजार पाक सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
Vijay Diwas: ढाका में पाक ने मानी थी हार
पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। इसके पूर्व पाक सेना ने भारत के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश के बाद भारतीय सेना ने पाक को नेस्तनाबूत कर दिया था। 12 दिनों तक लगातार युद्ध चलने के बाद पाक सैनिकों ने हार स्वीकार करते हुए ढाका में आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद पाक सेना का नेतृत्व कर रहे तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने 93 हजार सैनिकों के साथ भारत के सामने घुटने टेक दिए थे। उस वक्त भारतीय सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा थे।
युद्ध में भारत ने खोए थे 3900 जवान
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में जिस वक्त युद्ध हुआ था, उस वक्त जनरल सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के प्रमुख थे। इस युद्ध के बाद ही दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश उभरा था। इस जंग में भारत को भी अपने 3900 वीर जवानों की शहादत का दर्द झेलना पड़ा था। पाक से जंग में मिली जीत का इतना जुनून था कि कई सालों तक देश में इस खुशी में 16 दिसंबर को जश्न का माहौल नजर आने लगता था।