किन्नर, ये शब्द तो सुना ही होगा,भड़कीले कपड़े पहनना ,मेकप करना,नृत्य करना आदि क्रियाएं उनके जीवन का एक हिस्सा है। जन्म संस्कार हो ,या हो शादी समारोह , में शामिल होकर ढेरों बँधाईयाँ देते हैं अपने करतब से समारोह में समां बांधते हैं। उनके इन कारनामों को देखने के लिए आसपास लोगो की भीड़ उमड़ जाती है ,लोग मनोरंजन भी खूब करते है। फिर वही भीड़ उनका मज़ाक बनती है ? क्रियाकलापों और पहनावे पर गलत टिप्पड़िया करती है ,ग़लत नजरिए से देखती है। ट्रांसजेंडर पर्सन्स बिल 2016 पास होने के बाद भी अभी भी उनके साथ ऐसा गंदा व्यवहार किया जाता है। आज से 7 साल पहले भारत में किन्नरों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत माना जाता था जिसकी वजह से न तो उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं था न ही चिकित्सा की सुविधा। उन्हें रोजगार से वंचित रखा जाता था। भीख मांगने के सिवा उनके पास कोई विकल्प नहीं रहता था। सामान्य लोगों की तरह उन्हें किसी भी तरह के कोई अधिकार नहीं प्राप्त थे। लेकिन कैबिनेट ने 19 जुलाई 2016 को ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल 2016 को मंजूरी दी। इस बिल के जरिए किन्नरों को सामाजिक जीवन, शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र में आजादी से जीने के मिला। इस बिल के पास होने के बाद अब किंनर समुदाय भी आम जनता की तरह देश के हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलकर चल रहा है। आइए जानते है उन किन्नरों के बारे में जिन्होंने पताका फहराया।
देश की पहली किंनर जज- जोईता मंडल।
पश्चिम बंगाल की 30 वर्षीय जोइता मंडल की पहचान आज देश की पहली ‘किन्नर’ यानी ट्रांसजेंडर जज के तौर पर है। जोइता के इस सेवा और समर्पण भाव को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने उनका सम्मान करते हुए उन्हें लोक अदालत का न्यायाधीश नामांकित किया है,इस तरह वे देश की पहली ‘किन्नर’ न्यायाधीश हैं। मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी इंदौर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आईं जोइता ने कई मुद्दों पर और खासकर किन्नर समाज और रेड लाइट इलाके में रहने वाले परिवारों की समस्याओं पर खुलकर चर्चा की साथ ही अपने जिंदगी के उन पलों को भी साझा किया, जब उन्होंने कई रातें रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर गुजारी थी।
देश की पहली किंनर पुलिस – गंगा कुमारी।
राजस्थान के जालौर की रहने वाली गंगा कुमारी की मेहनत आखिरकार रंग लाई और लंबे संघर्ष के बाद राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देश पर गंगा कुमारी को राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया है। वह राज्य की पहली ऐसी किन्नर हैं, जिन्होंने पुलिस फोर्स जॉइन किया है।गंगा ने वर्ष 2013 में पुलिस भर्ती परीक्षा पास किया था लेकिन मेडिकल जांच के बाद पुलिस विभाग ने नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया था ,जिसके बाद गंगा कुमारी ने हाई कोर्ट में अपने अधिकार के लिए लड़ी फिर जस्टिस दिनेश मेहता ने इस मामले को ‘लैंगिक भेदभाव’ करार देते हुए छह सप्ताह के अंदर नियुक्ति देने का आदेश दिया था।
देश की पहली किंनर विधायक – शबनम मौसी।
लोग शबनम को शबनम मौसी की नाम से पुकारते हैं। शबनम मौसी शहडोल जिले के सोहागपुर निर्वाचन क्षेत्र से साल 2000 के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक के रूप में चुनी गई थीं,शबनम मौसी ने भारत में बहुत से किन्नरों को राजनीति में शामिल किया और देश की मुख्यधारा की गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। 1955 में मुंबई के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मी शबनम के पिता चंद्र प्रकाश एक पुलिस अफसर थे ,लेकिन किंनर होने की बात से परिवार ने नकारा, तो पालन-पोषण आदिवासी परिवार में हुआ।
हरिद्वार में किन्नरों का अखाड़ा।
हरिद्वार में गुरुवार यानी 4 फरवरी को पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और किन्नर अखाड़े की भव्य पेशवाई निकाली गई। जब तीनों अखाड़ों की पेशवाई सड़कों पर उतरी तो अद्भुत नजारा लोगों के बीच था। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि लैंगिक भेदभाव किन्नरों से अच्छा कोई नहीं जानता है, वह समाज के तानों को झेलता है, किन्नरों की तरह कई महिलाएं और पुरुष भी समाज में ठुकराए जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए किन्नर अखाड़े के दरवाजे हमेशा खुले हैं।