दिल्ली: जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) में पिछले 4 महीनों से बंद इंटरनेट पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में धारा 370 हटाने के बाद सरकार द्वारा लगायी पाबंदियों पर नाराज जताते हुए अगले सात दिनों में पाबंदियों की समीक्षा करने का आदेश जारी किया है। शीर्ष कोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम से सवाल किया की ‘, हर प्रतिबन्ध के पीछे कोई पुख्ता वजह होना बहुत जरुरी होती है, इंटरनेट पर रोक तब तक नहीं लगायी जा सकती है जब तक बहुत ज्यादा जरुरी न हो’. कोर्ट ने ये टिप्पणी अनुछेद 370 खत्म होने के बाद इस मसले पर दायर की गयी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की।
सात दिनों में सरकार जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) में लागू धारा 144 की समीक्षा करें
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सरकार को आदेश दिया है की अगले 7 दिनों में सरकार जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) में लगाए गए प्रतिबंधों और धारा 144 की समीक्षा करें और जल्द से जल्द ई-बैंकिंग और व्यापारिक सेवाएं बहाल करें। कोर्ट के मुताबिक,’ लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी बहुत ज्यादा एहम है साथ ही साथ आर्टिकल (19) (1) (ए) के तहत बोलने के अधिकार के अंतर्गत इंटरनेट की सुविधा एक संवैधानिक अधिकार है’. कोर्ट ने ये भी कहा की जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) में हिंसा का बहुत ही लंबा इतिहास रहा है और राजनीति में दखल देना उसका काम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाये ये फैसले
कोर्ट ने अपने फैसला में इंटरनेट के बेमियादी प्रतिबन्ध पर सवालिया निशान खड़े किये साथ ही साथ अगले सात दिनों में इन प्रतिबंधों की समीक्षा करने का आदेश भी दिया। इसके अलावा कोर्ट ने प्रतिबंधों की समीक्षा करने के लिए कमिटी बनाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कश्मीर(Jammu-Kashmir) के हालातों की ऑन ग्राउंड रिपोर्ट भी मांगी है। कोर्ट से बाहर निकले वकील सदन फरासत ने बताया की,’ इस तरह से अनिश्चितकाल के लिए इंटरनेट बंद करके सरकार ने सत्ता का दुरूपयोग किया है और कोर्ट के मुताबिक़ हुमारे संविधान के तहत अनिश्चितकालीन इंटरनेट प्रतिबन्ध मान्य नहीं है।