Lucknow: केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को लोकसभा में बजट पेश कर रही रही थीं और इसी बीच विरोधियों ने बजट और वित्तमंत्री को आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया. यूं तो बजट पर भाजपा के सभी धुर-विरोधी घात लगाए बैठे थे मगर, समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party ) ने सबसे पहले ट्वीट कर दिया. सपा(Samajwadi Party ) के राष्ट्रीय प्रवक्ता आई.पी. सिंह ने तो अपने ट्विटर हैंडल पर साफ-साफ लिख डाला, “कॉमेडी आफ्टरनून विद निर्मला सीतारमण. वहीं यूपी के पर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बजट से किसी को कोई फायदा नहीं होगा. जब जिस प्रदेश में बीजेपी की सरकार है वहां इंवेस्टर नहीं आ रहे हैं तो कैसे लोगों को रोजगार मिलेगा?.
हालांकि बजट पेश करने में मशरूफ वित्तमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के पास इन बयानों पर प्रतिक्रया देने का मौका ही नहीं था. तब तक तमाम विरोधियों ने बजट पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया जमाने के सामने परोस दी. सपा (Samajwadi Party ) नेता अखिलेश यादव के विश्वासपात्र आई.पी. सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर आगे लिखा, “5 नई स्मार्ट सिटी की घोषणा? अरे निर्मला जी, इसे बजट सत्र की जगह कॉमेडी ऑफ्टरनून विद निर्मला सीतारमण का नाम दिया जाना चाहिए था. हद हो गई ल़फ्फाजी की.
आई.पी. सिंह के ट्विटर अकाउंट पर उनके द्वारा जारी की गई पोस्ट में आगे लिखा गया, “प्रधानमंत्री शिक्षा बजट 94 हजार करोड़ से 99 हजार करोड़ की कर पाए. इतना छोटा दिल क्यों दिखा रहे हैं आप मोदी जी, छात्रों के लिए? छात्रों के विकास के बिना देश का विकास होगा? अमेरिका क्या मूर्ख है, जो जीडीपी का अहम हिस्सा शिक्षा पर खर्च करता है? खैर, जो खुद कभी पढ़ा न हो… हमेशा बेबाक टिप्पणी करने के लिए चर्चित सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आई.पी. सिंह ने आगे लिखा है, “अब यह बजट का नाटक बंद करिए. सभी लोग मिलकर नरेंद्र मोदी जिंदाबाद के नारे लगाते हुए सदन से ही दिल्ली चुनाव का प्रचार शुरू कर दीजिए. देश को बांटिए और चुनाव जीतने का प्रयास तेज करिए.
सपा(Samajwadi Party ) प्रवक्ता आगे लिखते हैं, “एनएचएआई कर्ज में डूबा है. इसका जिक्र नितिन गडकरी खुद कर चुके हैं. प्रोजेक्ट्स रुके पड़े हैं. बावजूद इसके निर्मला जी एक्सप्रेस-वे की बात करके जनता को बहला रही हैं. सपा ने इस बजट को सबसे महत्वपूर्ण वक्त पर इतिहास का सबसे कमजोर बजट करार दिया है. सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता के मुताबिक, “ग्रामीण विकास के लिए 1.23 लाख करोड़ का समग्र आवंटन. मगर यह किन-किन योजनाओं के लिए हुआ है, इसका खुलासा ही नहीं किया. ऐसा तभी होता है, जब प्रधानमंत्री कार्यालय से बजट ठीक एक दिन पहले जाता है वित्तमंत्री के हाथों में. आई.पी. सिंह के मुताबिक, किसानों की कर्जमाफी भी प्रधानमंत्री के मीठे शब्दबाणों में मौजूद छलावे के सिवाय और कुछ नहीं है.