Delhi : दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसले में केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दी, जिसमें सरकार ने निर्भया(Nirbhaya) के दोषियों को अलग-अलग फांसी की सजा देने की मांग की थी. केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर कर सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की पैरवी की थी. केंद्र का कहना था कि जिन दोषियों की दया याचिका (Mercy Petition) राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं, उन्हें फांसी पर लटकाया जाना चाहिए. दोषी खुद को बचाने के लिए अलग-अलग दया याचिका राष्ट्रपति के पास दायर कर रहे हैं. लीगल रेमिडीस के नाम पर दोषी खुद को बचा रहे हैं और इससे पीड़ित परिवार को न्याय मिलने में देरी हो रही है. यह दोषियों की डिले टैक्टिक्स है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि दोषी सजा के अमल में विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं. दूसरी ओर, दोषियों के वकील एपी सिंह और दोषी मुकेश की वकील रेबेका जॉन ने केंद्र सरकार की याचिका पर ऐतराज जताते हुए कहा था- दोषी मुकेश की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने देरी के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट के आधार पर खारिज की है. निर्भया(Nirbhaya) की मां ने भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच के सामने मेंशनिंग कर फैसला जल्द सुनाए जाने की मांग की थी.
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया(Nirbhaya) के दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए दो बार डेथ वारंट (Death Warrant) जारी कर चुका है, लेकिन कानूनी दांवपेंच के चक्कर में दोनों बार चारों दोषियों की फांसी टल चुकी है.निर्भया(Nirbhaya) के माता-पिता के वकीलों ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत के समक्ष मामले को अर्जेट रूप से प्रस्तुत किया और सामूहिक दुष्कर्म व हत्या के चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट पर से रोक हटाने की मांग वाली केंद्र की याचिका के जल्द निस्तारण की मांग की.माता-पिता के वकील जितेंद्र झा ने कहा, ‘न्यायमूर्ति कैत ने जवाब दिया कि उन्होंने शनिवार और रविवार को सुनवाई की, जिससे पता चला कि अदालत मामले की अर्जेसी को समझती है और यह भी आश्वासन दिया है कि वह जल्द से जल्द आदेश को पारित करेंगे.’