अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हाल ही में मंगल ग्रह पर पर्सिवियरेंस रोवर को लैंड कराकर इतिहास रच दिया था ,जिसमें भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान काफ़ी रहा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मार्स पर्विरेंस रोवर की सफलता में स्वाति मोहन के अलावा एक और भारतीय महिला वैज्ञानिक का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। मार्स मिशन में वैज्ञानिक वंदना वर्मा ने अहम भूमिका निभाई है, नासा के जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला की रिपोर्टिक्स इंजीनियर डिपार्टमेंट की हेड वंदना वर्मा भी इस मिशन की एक अहम कड़ी रही हैं।मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने अपने संघर्षों, मिशन की चुनौतियों और उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।
जानिए डॉ. वंदना की दिलचस्प स्टोरी।
डॉक्टर वंदना वर्मा का जन्म पंजाब के हलवारा में हुआ था,उनके पिता भारतीय वायु सेना में फाइटर पायलट थे। वंदना की स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय से हुई और इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ से ही इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का कोर्स किया, डॉक्टर वंदना ने कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय से रोबोटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और साल 2005 में वहीं से पीएचडी भी की। डॉक्टर वंदना साल 2008 से ही नासा से जुड़ी हैं और वर्तमान में वह नासा के रोबोटिक्स ऑपरेशन की हेड हैं। क्यूरियोसिटी, एमईआर-ए स्पिरिट और एमईआर-बी रोवर का भी संचालन कर चुकी हैं।