Bhakti: हिंदू(Hindu) धर्म में वैसे तो सभी माह को विशेष माना जाता हैं मगर माघ का महीना अति पवित्र महीना माना जाता हैं। प्रकृति में रमने का महीना माघ होता हैं। इस पूरे माघ में किया गया तप जप और दान बाकी बचे ग्याहर महीनों में सकारात्मता प्रदान करता हैं देवत्व दिलाता हैं। माघ माह को सर्वाधिक महत्व दिया गया हैं। वही तीर्थराज प्रयाग में दस जनवरी की पौष पूर्णिमा से माघ स्नान शुरू होगा, जो नौ फरवरी की माघी पूर्णिमा तक चलेगा। वही पंचतत्वों से बनी इस मानव देह को माघ में तप द्वारा ही पूर्ण किया जा सकता हैं। संसार में रहते हुए जब पंच तत्वों क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा। पंच रचित अति अधम शरीरा। पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु इन पांच तत्वों से यह शरीर बना हैं। असल में तप के द्वारा पंच तत्वों में किसी भी तरह से आ गई कमी को पूरा करने में सक्षम हो जाता हैं। वही बहुत से लोग नहाते समय गंगे यमुने चैव गोदावरि सरस्वती। कावेरी नर्मदे सिन्धोर्जलअस्मिन्सन्निधिं कुरु॥’ तीर्थराज प्रयाग में इनमें से तीन गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम हैं। हम सभी के शरीर में 70 प्रतिशत पानी होता हैं
माघ माह में हिन्दू(Hindu) धर्म के लोग जाते है पवित्र नदी के पास
इसलिए माघ माह में किसी भी पवित्र नदी के पास ज्यादा से ज्यादा समय बिताना, नहाना, तप करना बहुत जरूरी माना जाता हैं। फिर ब्रह्मा, विष्णु, महादेव आदित्य, मरुद्गण तथा अन्य सभी देवी देवता इसी माघ मास में संगम स्नान करते हैं ऐसा माना जाता हैं कि माघ मास में तीन बार स्नान करने से जिस फल की प्राप्ति होता हैं वह पृथ्वी पर दस हजार अश्वमेध यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता हैं। हिंदू(Hindu) धर्म में वैसे तो सभी माह को विशेष माना जाता हैं मगर माघ का महीना अति पवित्र महीना होता हैं। प्रकृति में रमने का महीना माघ होता हैं। इस पूरे माघ में किया गया तप जप और दान बाकी बचे ग्याहर महीनों में सकारात्मता प्रदान करता हैं देवत्व दिलाता हैं, माघ माह को सर्वाधिक महत्व दिया गया हैं।