विश्व कैंसर दिवस के मौके पर कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता का सबसे बड़ा दिन माना जाता है, माना जाता है कि कैंसर के प्रति जारूकता ही इसका सबसे सफल इलाज है। कैंसर का नाम किसी भी व्यक्ति में खौफ भरने के लिए काफी है , भारत में प्रति वर्ष हजारों लोग इस बीमारी से अपनी जान गवाते हैं ,हमारे शरीर में कोशिकाओं का लगातार विभाजन होता है जो एक सामान्य-सी प्रक्रिया है, जिस पर शरीर का पूरा कंट्रोल रहता है , लेकिन जब शरीर के किसी खास अंग की कोशिकाओं पर शरीर का कंट्रोल नहीं। और वे असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो उसे कैंसर कहते हैं।
क्या कहते हैं आँकड़े ?
आपको बता दें कि एक लाख जनसंख्या पर 80 कैंसर के मरीज़ होने का दावा किया गया है ,जिनमें उत्तर प्रदेश मेंइसके के मरीज सबसे ज्यादा हैं। नैशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 में सामने आए आंकड़ो के अनुसार पिछले चार साल में देशभर में कैंसर के मामले 10% बढ़े, इस रफ़्तार से देखा जाये तो 2025 तक भारत में 15.7 कैंसर केस हो जाएंगे, पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। डॉ. समीर गुप्ता का कहना है कि कैंसर का फर्स्ट स्टेज में पता चले तो इसका पूर्ण इलाज संभव है ,सर्जरी, कीमोथेरेपी व रेडियोथेरपी के कांबिनेशन से कैंसर ठीक हो जाता है ,शुरुआत में तो किसी एक ही विधि से पूर्ण इलाज संभव है. जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता जाता है, कई थेरेपी का सहारा लेना पड़ता है. कैंसर ठीक होने के बाद फिर हो सकता है, इसका प्रमुख कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना होता है। कैंसर से होने वाली कुल मौतों में 2 प्रतिशत लोग ब्रेन ट्यूमर के मरीज होते हैं. 2018 के एक ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष करीब 28142 लोग ब्रेंन ट्यूमर से प्रभावित होते हैं. इस बीमारी के चलते मरीज के जीवन और उसके परिवार पर नकारात्मक असर होता है। राजधानी लख़नऊमें कैंसर ट्रीटमेंट के एक बड़े हब के रूप में उभरकर सामने आ रही है , यहां केजीएमयू, लोहिया संस्थान, पीजीआई में कैंसर का इलाज किया जाता है, वहीं यहां कैंसर इंस्टीट्यूट भी खुल चुका है, जहां लीनेक मशीन से कैंसर का इलाज किया जा रहा है।