चीन ने कार्गो भारतीय जहाज एमवी जगआनंद को जापान रवाना होने की मंजूरी दे दी है , जहां एक तरफ यह जहाज जापान पहुंचने को है तो वहीं दूसरी ओर चीन में खड़े स्विस-इटैलियन कंपनी के जहाज एमवी अनासतासिया पर 16 भारतीयों को चीन से निकलने का इंतजार है, जहाज के नेविगेशन ऑफिसर गौरव सिंह ने एक बार फिर मदद की गुहार लगाई है।
नेविगेशन ऑफिसर गौरव सिंह ने कही ये बात …..
एमवी अनासतासिया सितंबर 2020 से चीन में फंसा है और इस पर कुल 18 लोगों का क्रू है जिसमें से 16 भारतीय हैं तो एक रूस और एक फिलीपींस का नागरिक है. गौरव सिंह ने बताया जहाज पर स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं , हम मानसिक और शारीरिक रूप से अस्थिर होते जा रहे हैं, हमारे परिवारवाले डरे हुए हैं और चिंतित हैं लेकिन अभी तक हमें इजाज़त नहीं मिली है और एमवी जगआनंद के जाने के बाद से क्रू बहुत ही दुखी है ,उन्हें लगता है कि जगआनंद भारतीय जहाज पर भारत सरकार की तरफ से डाले गए दबाव की वजह से ही जगआनंद को जाने की इजाजत मिल गई ,लेकिन उनके जहाज पर पनामा का झंडा लगा है और इस वजह से उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरव सिंह ने बताया कि उनकी कंपनी ने मंगलवार को कार्गो के रिसीवर से संपर्क किया ताकि उनके जहाज को भी जापान जाने की मंजूरी मिल सके. लेकिन उसे साफतौर पर मना कर दिया गया और कहा गया कि अगर उन्होंने जहाज को ले जाने की कोशिश की तो फिर उन्हें कोर्ट में ले जाया जाएगा और शिप के क्रू समेत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर जारी तनाव से पूरा विवाद।
चीन का कहना है कि दोनों जहाज पोर्ट पर क्वारंटाइन प्रक्रिया के चलते फंसे हैं , चीन के मुताबिक़ ऑस्ट्रेलियाई कोयले से लदे बाकी जहाजों को ऑफलोड की मंजूरी दे रही है और इसके बाद वह बंदरगाह से जा सकते हैं. माना जा रहा है कि भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर जारी तनाव के चलते यह सारा विवाद हुआ है , ऑफिसर गौरव सिंह के मुताबिक अभी तक उनके पास ऐसा कोई आदेश नहीं आया है। चीन ने इस शिपिंग कंपनियों पर आरोप लगाया है और कहा है कि वो अपने व्यावसायिक हितों की वजह से कुछ भी समायोजन करने के लिए तैयार ही नहीं हो रहे हैं.भारत में चीन के दूतावास पर तैनात काउंसलर जी रोंग ने कहा था चीन ने कभी भी किसी जहाज को जाने से मना नहीं किया है ,रोंग की मानें तो इस समस्या की असली वजह फ्रेट रेट्स हैं और शिपिंग कंपनियां इस पर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं।