Delhi: “दी इकोनॉमिस्ट(Economist) ” यह नाम तो आपने सुना ही होगा, अगर नहीं सुना है तो बता दें के यह लंदन से प्रकाशित होने वाली एक इंग्लिस मैगज़ीन है। जो दुनिया के सबसे मशहूर और प्रतिष्ठित मैगज़ीन्स में से है। इसी मैगज़ीन का ताजा संस्करण आया 24 जनवरी को कवर पेज पर था भारत। पर किसी अच्छी वजह से नहीं बल्कि स्टोरी थी ‘इंटोलरेंट इंडिया, हाउ मोदी इज़ एंडेंजरिंग द वर्ल्ड्स बिगेस्ट डेमोक्रेसी’ इस लेख में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की समीक्षा की गई, और लिखा गया है कि मोदी एक सहिष्णु, बहुधर्मी भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
“दी इकोनॉमिस्ट(Economist) का यह लेख आगे यह भी कहता है के नागरिकता संशोधन कानून NDA सरकार का एक महत्वाकांक्षी क़दम है। इस तरह की नीतियां चुनाव जीतने में कारगर हो सकती हैं मगर साथ ही यह भी कहा गया है कि संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमतर करने की प्रधानमंत्री मोदी की नई कोशिशें भारत के लोकतंत्र को नुक़सान पहुंचाएंगी जो दशकों तक चल सकता है. देश के लिए यह राजनैतिक ज़हर का काम करतीं हैं। लेख का कहना है के यह कानून गिरती अर्थव्यवस्था से ध्यान भटकने का एक प्रयास है।
ग़ौरतलब है की इससे पहले एक और मशहूर मैगज़ीन “द टाइम्स ” भी प्रधानमंत्री मोदी को “इंडिअस डिवाइडर इन चीफ” बोल चुकी है। विदेशी मीडिया का यह रुख विश्व स्तर पर भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि के लिए नुक्सान दायक है साथ ही साथ इस लेख से दुसरे देशों का रवैया भी भारत के लिए बदलेगा अब देखना ये होगा की अंतराष्ट्रीय समुदाय इस लेख पर किस तरह से प्रतिक्रिया देते है।
आपको बता दें की 2010 में भी “दी इकोनॉमिस्ट “(Economist) ने भारत पर 2010 में भी एक लेख लिखा था जिसमे उसने भारत की बढ़ती हुई इकॉनमी की तारीफ की थी और साथ ही साथ समय- समय पर ये पत्रिका भारत के लिए अच्छे लेख लिखा करती है।