लखनऊ :पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई(Atal Bihari Bajpai) और लखनऊ का बहुत ही गहरा रिश्ता है। इस शहर ने अटल बिहारी बाजपेई(Atal Bihari Bajpai) को राजनीति का वो आयाम दिया जिस तक पहुंचना शायद किसी आम आदमी के लिए मुमकिन नहीं है। आज अटलजी का 92 वां जन्मदिन है और पूरे देश में उनके समर्थक आज उसे जोर-शोर से मना रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति का अनावरण करेंगे।
आज़ादी से पहले का है अटल बिहारी बाजपेई (Atal Bihari Bajpai) लखनऊ का रिश्ता
सन 1947 में पंडित दीन दयाल उपाध्याय और भाऊराव देवरस ने लखनऊ से एक मासिक पत्रिका का संपादन शुरू किया जिसका पहला अंक 31 दिसंबर 1947 में इसका पहला अंक प्रकशित हुआ। इस पत्रिका का नाम था राष्ट्रधर्म। भाऊराव देवरस के आग्रह पर अटलजी ने पत्रिका के संपादन का कार्यभार संभाला। उस वक़्त अटलजी के लेखन का लोहा इसी बात से माना जा सकता है की राष्ट्रधर्म के पहले अंक की 3000 कॉपियां प्रकशित हुई और सभी हाथों हाथ बिक गयी यहाँ तक की दुसरे अंक की 8000 कॉपियां और तीसरे अंक की 12000 कॉपियां भी हाथों हाथ बिकी।
लखनऊ से शुरू हुआ राजनीति का सफर
यूँ तो लखनऊ से अटल जी (Atal Bihari Bajpai) का बहुत ही पुराना और गहरा सम्बन्ध है लेकिन ये सम्बन्ध और गहरा तब हो गया जब 1991 अटल जी लखनऊ से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हालाँकि वो पहले ही 1957 में बलरामपुर से निर्वाचित होकर लोकसभा पहुँच चुके थे लेकिन 1951-52 में अटल जी लखनऊ से जनसंघ पर लोकसभा के लिए खड़े हुए लेकिन हार गए। उसके बाद उन्होंने बलरामपुर चुनाव लड़ा और भारी मतों से विजयी हुए।
अटल जी के जुबान पर बसा लखनऊ का स्वाद
अटलजी(Atal Bihari Bajpai) शुरुआत से ही खाने पीने के काफी शौखीन थे वो जब भी लखनऊ आते तो चौक में राजा की ठंडाई जरूर पीते थे, इसके अलावा उन्हें चौक में टिल्लू गुरु दीक्षित के यहां की चाट भी बहुत ज्यादा पसंद थी और लाटूश रोड पर पुराने आरटीओ के सामने पंडित रामनारायन तिवारी की चाट भी अटलजी बड़े मजे से खाते थे। खाने के अलावा अटलजी को चौक के बानवाली गली में रामआसरे की दूकान का मलाई पान भी काफी पसंद था, प्रधानमंत्री बनने के बाद वो अक्सर लखनऊ से पान मंगवाया करते थे।