यौन उत्पीड़न को लेकर हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रोक लगा दी है।देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने मामले के आरोपी को नोटिस जारी किया है और दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में यूथ बार एसोसिएशन आफ इंडिया ने याचिका दाखिल कर चुनौती दी है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने अपने फैसले में कहा था कि किसी नाबालिग के कपड़े उतारे बिना उसके वक्षस्थल को छूना यौन हमला नहीं कहा जा सकता। यौन हमले के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है। इस तरह के कृत्य को बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में नहीं ठहराया जा सकता। यौन हमले के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है। हाई कोर्ट के इस फैसले पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई थी और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी।