आज पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ महाशिवरात्री मनाई जा रही है। आज के खास पर्व पर भगवान शिव को बेल पत्र, जल, आदि चढ़ा कर आज के व्रत रखते हैं और भगवान शिव की आर्धना करते हैं। लेकिन अगर हम कहें कि भगवान शिव को सिंदूर भी चढ़ाया जाता है, तो आप कहेंगे कैसे, कहां? तो चलिए आपको उस जगह और इसके पीछे की वजह के बारे में बताते हैं।दरअसल, पूरी दुनिया में भगवान शिव के अनेकों मंदिर हैं। जहां लोग पूरी आस्था और विश्वास के साथ उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
कहीं उनकी भस्म आरती की जाती है, तो कहीं उनका जलाभिषेक किया जाता है। लोग अपनी मनोकामना लेकर भगवान शिव के मंदिर में आते हैं, और मुरादें पूरी होने पर उनके दर पर अपनी श्रद्धा अनुसार चीजें चढ़ाते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के इटारसी में भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर है, जहां पर उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता है।भगवान शिव का ये मंदिर इटारसी से 17 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां पर सदियों से ये परंपरा है कि भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाया जाता है। इस मंदिर का नाम तिलक सिंदूर है, और यहां सेआदिवासी जनजाति के लोगो का काफी जुड़ाव है। ये लोग यहां आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे अपनी मनोकामना भी मांगते हैं।ये आदिवासी लोग मंदिर में विराजे महादेव को बड़ादेव मानते हैं। भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा को लेकर यहां के आदिवासी सेवा समिति के विनोद बारीबा कहते हैं कि, पहले गौंड समुदाय के लोग यहां जंगल से फल-फूल लाते थे और फिर भोलेनाथ को चढ़ाते थे। वहीं, इन्हीं के साथ सिंदूर भी आ गया और तब से उन्हें सिंदूर भी चढ़ता है।