जब 4 वर्ष की एक बच्ची शांतिदेवी अपने माता-पिता को अपने पिछले जन्म के बारे में बताती है । की उसके पति गोरे हैं और चश्मा लगाते हैं।
वह पूर्व जन्म में मथुरा में रहती थी। उसका एक पुत्र भी है। तो हर कोई चौक जाता है और उसकी बातो पर विश्वास
नहीं कर पाता। किन्तु वो ये बात बार बार दोहराती है।
मामला उस वक्त का है। जब शांतिदेवी महज चार साल की थी। तभी उन्हें उनके पिछले जन्म की याद आ गई थी।शांतिदेवी का कहना था कि उनका घर मथुरा में है। उनके पति उनका इंतजार कर रहे हैं। वह मथुरा जाने की बहुत जिद करती थी। लेकिन वह कभी भी अपने पति का नाम नहीं लेती थी।
मथुरा की क्षेत्रीय भाषा में करती थी बात।
मात्र चार साल की शांतिदेवी ने मथुरा में अपने गांव के बारे में ऐसी बातें बताई जिस पर किसी को भी भरोसा करना मुश्किल था। जब उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाया तो वह सबसे यही कहती थी कि वह शादीशुदा है। और अपने बच्चे को जन्म देने के 10 दिन बात ही उसकी मृत्यु हो गई थी। जब स्कूल के अध्यापकों और छात्राओं से बात की गई तब उन्होंने बताया कि यह लड़की मथुरा की क्षेत्रीय भाषा में बात करती है।
एक बार उनके करीबी रिश्तेदार बाबू बीचन चंद्र ने शांतिदेवी को प्रलोभन दिया ,कि वे यदि उनके पूर्वजन्म के पति का नाम बता देंगी तो वो उनको मथुरा ले जाएंगे। इस प्रलोभन में आकर उन्होंने अपने पति का नाम केदारनाथ चौबे बताया ।
चंद्रजी ने केदारनाथजी को पत्र लिखा और सारी बाते विस्तारपूर्वक बताई। केदारनाथजी ने पत्र का उत्तर देकर बताया कि, शांतिदेवी जो भी कह रही है, वह सत्य है, और वो उनके दिल्ली निवासी भाई पंडित कांजिवन से मिलें। पंडित कांजिवन शांतिदेवी से मिलने जब उनके घर आते है तो शांतिदेवी ने उन्हें शीघ्र ही पहचान लिया। शांतिदेवी ने कहा कि वे केदारनाथ जी के चचेरे भाई हैं।
महात्मा गाँधी ने 15 सदस्यों की समिति गठित की।
इस घटना के बाद शांतिदेवी से मिलने केदारनाथजी अपने पुत्र व तीसरी पत्नी के साथ आते है । केदारनाथ और उनके बेटे को शांतिदेवी के सामने अलग-अलग नाम से पेश किया गया। लेकिन शांतिदेवी उन्हें देखते ही पहचान गयी । शांतिदेवी ने केदारनाथ को, कई ऐसी घटनाओं के बारे में बताया ,जिसे जानकर वे भी चौंक गए ,और उन्हें विश्वास हो गया कि वो उनकी पत्नीं है। लेकिन शांतिदेवी को यह देखकर धक्का लगा कि ,केदारनाथ ने दूसरी शादी कर ली है। शांतिदेवी ने केदारनाथजी से पूछा कि आपने लुग्दी देवी से वादा किया था, कि आप दुबारा शादी नहीं करेंगे? इसका केदारनाथ कोई जवाब नहीं दे पाए।
यह मामला जब महात्मा गांधी के पास आया, तो उन्होंने इस केस की सत्यता की जांच के लिए ,15 सदस्यों की एक कमेटी गठित कर दी। यह कमेटी शांतिदेवी को लेकर मथुरा गई, जहा शांतिदेवी तांगे पर बैठकर सबको केदारनाथजी के घर का रास्ता बताती है।
आजीवन अविवाहित रही।
मथुरा पहुंचकर शांतिदेवी ,केदारनाथ और लुग्दी देवी जुड़े सभी रिश्तेदारों और परिवारवालों को पहचान जाती है
शांतिदेवी ने यह भी बताया कि मथुरा में उनके घर के आंगन में एक कुआ था। उनके पति केदारनाथजी की दुकान, द्वारकाधीश मंदिर के सामने हैं। और आखिरी में वो अपने कमरे में गयी और पैसे से भरा मटका निकाल कर लायी, जिसके बारे में उन्होंने सबको पहले बताया था।
जांच समिति ने यह निष्कर्ष निकाला था कि शांतिदेवी के रूप में ही, लुग्दी देवी ने दूसरा जन्म लिया है। शांतिदेवी उम्रभर अविवाहित रही। उनके मन में यह गहरा दुःख रहा कि, उनके पूर्वजन्म के पति केदारनाथ ने उनके मरने के बाद दूसरा विवाह कर लिया।
शांतिदेवी खुद को सही साबित करने के लिए कई इंटरव्यू देती रही। उन्होंने अपना आखिरी इंटरव्यू अपनी मौत के चार दिन पहले दिया था, जिसमें उन्होंने लुग्दी देवी के दर्द को बयां किया था। । शांतिदेवी का कहना था ,कि जब लुग्दी देवी अपनी अंतिम साँस ले रही थी ,तब उनके पति ने उनसे कई वादे किये जो वो आज तक पूरा नहीं कर पाए।