पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गयी है चुनाव आयोग के द्वारा चुनावी तारीखों की घोषणा करते ही एक नाम जो हर जगह सुनाई देने लगता है वो है कोड ऑफ़ कंडक्ट यानी की आचार संहिता।जिसके बारे में हम जानते तो है पर पर उसके बारे में हमे ज्यादा पता नहीं होता की आखिर चुनाव आचार संहिता क्या है? चुनाव आचार संहिता क्यों लागू होती है? आचार संहिता कब से कब तक लगी रहेगी?
चुनाव आचार संहिता क्या होती है ?
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है. चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं. लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है.
तो आखिर कब से लागू होती है आचार संहिता?
आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है और आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है. चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही आचार संहिता देश में लगती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है |
आचार संहिता के नियम क्या होते है।
चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी लागू हो जाते हैं. जिसकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता। पहला की सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल, या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा. दूसरा ये की सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जायेगा. किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं किया जायेगा। किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी. आगे किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे.
आखिर आचार संहिता के उल्लंघन पर क्या कार्रवाई की जाती है |
चुनाव आचार संहिता के नियम सख्ती से लागू होते हैं. अगर इन नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो उसके लिए सज़ा का प्रावधान भी है. चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट कानूनी रूप से बाध्यकारी तो नहीं है। इसका कोई वैधानिक आधार भी नहीं है। यदि कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो चुनाव आयोग नियमानुसार कार्रवाई कर सकती है। उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है और संबंधित व्यक्ति को जेल भी भेजा जा सकता है।