रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी, इस वक्त जेल की सजा काट रहे रहे हैं, जहा एक ओर उनके ऊपर खुदखुशी के लिए उकसाने का केस चल रहा ,तो वही दूसरी ओर जनता में उनकी रिहाई को लेके काफी मांगे भी उठ रही हैं, फ़िलहाल इस वक्त अर्नब का मामला SC जा पहुंचा हैं |
sc ने कहा की यदि हम इस मामले में दखलअंदाजी नहीं करेंगे तो ,हम बर्बादी की तरफ जा रहे होंगे ,कोर्ट ने यह भी बोला की आप विचारधारा में अलग हो सकते है ,लेकिन सवैधानिक अदालतों को इस तरह के सवतंत्रता की रक्षा करनी होगी, वार्ना तब हम विनाश के रास्ते पर चल रहे हैं |
जस्टिस चंद्रचूर्ण ने कहा की हो सकता हैं की आप अर्नब के विचारधारा को पसंद नहीं करते हो ,में खुद उनका चैनल नहीं देखता, लेकिन अगर हाई कोर्ट जमानत नहीं देती हैं तो, नागरिक जेल चला जाता हैं ,हमें एक मजबूत सन्देश देना होगा, पीड़ित निष्पक्ष जाँच का हक़दार हैं ,जाँच को चलने दे, लेकिन राज्य सरकार इस इस आधार पर व्यक्तियों को लांछित करती हैं, तो एक मजबूत सन्देश बाहर आने दे |
SC का, वकील पर गुस्सा ?
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश किये गए वकील से पूछा की, एक ने आत्महत्या की है दूसरे में मौत का कारण का अज्ञात हैं ,अर्नब पर आरोप लगाया गया हैं की ,उन्हें मृतक को 88 लाख देना था, जो की उन्होंने नहीं दिया , जिससे मृतक मानसिक दबाव में था ,क्या एक को पैसा दूसरे को देना ,और वो
खुदखुशी कर ले ,तो क्या उकसाना हुआ ? क्या किसी को इसके लिए जमानत से वंचित रखना सही होगा ? कोर्ट ने कहा की हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला हैं , सरकारों को उन्हें (टीवी पर ताना मारने को ) को अनदेखा करना चाहिए |
जस्टिस चंद्रचूर्ण ने महाराष्ट्र सरकार को ये भी बोला की आप सोचते हैं की वे जो बोलते हैं उससे चुआव पर कोई असर होता हैं ?